भगवद्गीता से नेतृत्व के 10 प्रमुख सूत्र

भगवद्गीता से नेतृत्व के 10 प्रमुख सूत्र – भगवद्गीता नेतृत्व का एक अदृष्ट उदारहण है क्योंकि भगवद्गीता जो कि स्वयं कृष्ण द्वारा बोली गयी कृष्ण ने अपना बचपन एक ग्वाल बाल के रूप मे बिताया फिर मथुरा जाकर कंस जैसे

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भगवद्गीता के शांति प्रदान करने वाले १० प्रमुख श्लोक

भगवद्गीता के शांति प्रदान करने वाले १० प्रमुख श्लोक – भगवद्गीता  समस्त वेदों का सार है तथा यह वेदों का प्रमुख उपनिषद है | यह स्वयं भगवान के मुख से अवतरित हुई है | जिस प्रकार गंगा भगवान के चरणकमलो

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भगवद गीता के अनुसार हमारा धर्म और कर्तव्य

भगवद गीता के अनुसार हमारा धर्म और कर्तव्य – Hare Krishna भगवद गीता के अनुसार हमारा धर्म और कर्तव्य भगवद्गीता को गीतोपनिषद भी कहा जाता है। यह वैदिक ज्ञान का सार है और वैदिक साहित्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपनिषद,है ।

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अध्याय ११ – विराट रूप ( सार )

अध्याय ११ – विराट रूप ( सार ) – अध्याय दस मे श्रीकृष्ण के ऐश्वर्य का वर्णन है तथा अध्याय दस के अंत मे भगवान अर्जुन से कहते है कि मैं अपने एक अंशमात्र से सम्पूर्ण ब्रहमांड मे व्याप्त होकर

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 Importance Of Guru

जो अंधकार का निरोध करता है, उसे गुरु कहा जाता है । सच्चा गुरु भगवान का प्रतिनिधि होता है, और वह केवल भगवान के बारे में ही कहता है और कुछ नहीं। सच्चा गुरु वही है , जिसकी रुचि भौतिकवादी

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हमें भगवत गीता कब पढ़नी चाहिए

जैसा की हम जानते है कक हमारे देश मे हर शुभ कार्य को करने का मुहूतय होता है जैसे हववाह मुहूतय, गृहप्रवेश मुहूतय, लगन मुहूतय और कोई भी शुभ काम जैसे नर्ा व्यवसार् आरंभ करना हो अथवा बालक का प्रथम

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अध्याय ८ – अक्षरब्रहम योग (सार)

अध्याय ८ – अक्षरब्रहम योग (सार) – अध्याय ७ के अंत मे श्रीकृष्ण बताते है कि मनुष्य किस प्रकार ज्ञान अर्जन करें ?  जिससे वह पूर्णता को प्राप्त कर भगवद्धाम वापस जा सके | अष्टम् अध्याय मे श्रीकृष्ण बताते है

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अध्याय ५ : कर्म – संन्यास योग

अध्याय ५ : कर्म – संन्यास योग – भगवद्गीता के पंचम अध्याय मे भगवान बताते है कि भक्तिपूर्वक किया गया कर्म, शुष्क चिंतन से बेहतर है | तृतीय अध्याय मे बताया गया कि जो व्यक्ति ज्ञान मे स्थित है उसके

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