स्वेच्छा और भाग्य, दोनों ही कर्म से जुड़े हुए हैं। ‘कर्म’ शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है — एक अर्थ में यह कार्य को दर्शाता है, और दूसरे अर्थ में वह फल जो हम भोग रहे हैं।
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स्वेच्छा और भाग्य, दोनों ही कर्म से जुड़े हुए हैं। ‘कर्म’ शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है — एक अर्थ में यह कार्य को दर्शाता है, और दूसरे अर्थ में वह फल जो हम भोग रहे हैं।
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